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पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (फोटो: शिन्हुआ)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले गुरुवार को यह दावा किया कि उनका देश बढ़ते खाद्य संकट को देखते हुए दुनिया की मदद के लिए तैयार है, बशर्तें पश्चिमी देश यूक्रेन से जंग छिड़ने के बाद रूस पर लगाए अपने प्रतिबंधों और रोकों को हटा लेता है। गौरतलब है कि रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों के तीन महीने से भी ऊपर का समय बीत चुका है।

एक तो रूस-यूक्रेन में युद्ध अब भी जारी है, और ऊपर से रूस पर लगे प्रतिबंधों ने वैश्विक खाद्य संकट को गहरा कर दिया है। इसलिए कि रूस और यूक्रेन दोनों ही दुनिया में प्रमुख खाद्य आपूर्तिकर्ता देश हैं।

इसको देखते हुए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि रूस खाद्यान्न और उर्वरकों की वैश्विक आपूर्ति को बढ़ावा दे सकता है, और उस मुद्रास्फीति को कम करने में भी मदद कर सकता है, जिससे कि इस समय बड़ी संख्या में दुनिया के देश जूझ रहे हैं। पुतिन ये बातें इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्राघी से कर रहे थे, जो उनके साथ लाइन पर थे। इस बारे में तास की रिपोर्ट कहती है कि ड्राघी ने इसी वैश्विक खाद्य संकट पर चर्चा करने के लिए पुतिन को फोन किया था।

पुतिन ने इटली के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में यह भी कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने "राजनीतिक रूप से प्रेरित" हो कर रूस के विरुद्ध प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि गुरुवार को ड्राघी से बातचीत के पहले, पुतिन ने यूरेशियन इकोनॉमिक फोरम को संबोधित किया था। इसमें उन्होंने दावा किया कि यह प्रतिबंध उन देशों के लिए हानिकारक है,जिन्होंने उन पर प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने इस प्रसंग में अभूतपूर्व महंगाई की ओर इशारा किया, जिसका कि अधिकतर देश सामना कर रहे हैं।

रूसी नेता पुतिन ने जोर देकर कहा कि “हालांकि वे देश आंतरिक स्तर पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, और मुझे आशा है कि उन्हें इसका एहसास है कि इस (रूस के खिलाफ प्रतिबंध की) नीति का बिल्कुल ही कोई भविष्य नहीं है।" पुतिन ने यह भी दावा किया कि पश्चिम उन देशों को कमजोर करने के लिए प्रतिबंधों का एक हथियार के रूप में उपयोग करता रहा है, जो स्वतंत्र नीतियों का पालन करने का प्रयास करते हैं।

पश्चिमी देशों के आरोपों पर पुतिन का जवाब

इटली के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उन्होंने पुतिन से इस अनुरोध के साथ बातचीत की थी कि उनका देश यूक्रेन के बंदरगाहों से दुनिया को खाद्यान्न की आपूर्ति करने की अनुमति दे। पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के विभिन्न बंदरगाहों पर निर्यात के लिए रखे खाद्यान्नों पर अपना दखल करने के लिए रूस को दोषी ठहराया है। पश्चिम का यह भी दावा है कि यूक्रेनी खाद्यान्न की कमी के कारण वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है और इसके चलते, कुछ अफ्रीकी देशों में यह स्थिति खाद्य संकट की वजह बन सकती है।

रूस ने पश्चिमी आरोपों से इनकार किया है। उसने दावा किया है कि पश्चिम खुद दुनिया में वर्तमान खाद्य संकट के लिए जिम्मेदार है क्योंकि उसने रूस के खिलाफ अविवेकपूर्ण प्रतिबंध लगाए हैं। रूस और यूक्रेन दोनों देश मिलकर विश्व को गेहूं, मक्का, जौ और कुछ खाद्य तेल जैसे प्रमुख खाद्यान्न के सभी वैश्विक निर्यात का एक तिहाई हिस्सा आपूर्ति करते हैं। रूस विभिन्न प्रकार के उर्वरकों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। उसकी तरफ से इन चीजों के निर्यात में कमी होने से खाद्य उत्पादन में कमी हो सकती है। इससे कृषि उत्पादन की लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे कि वैश्विक खाद्य संकट बढ़ सकता है।

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया के देशों से अपील की थी कि वे एकजुटता के साथ मिलकर तत्काल कदम उठाएं। उन्होंने दावा किया कि खाद्य असुरक्षा से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों की संख्या पिछले दो वर्षों में 135 मिलियन से बढ़कर 276 मिलियन हो गई है।

तेल और गैस के रूसी निर्यात पर प्रतिबंध और रोक ने विभिन्न देशों में मुद्रास्फीति बढ़ा दी है, क्योंकि रूस तेल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक और दुनिया में गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है। इससे खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत पर भी बुरा असर पड़ा है।

यूक्रेन में युद्ध चौथे महीने में

डोनबास क्षेत्र में युद्ध एक महत्त्वपूर्ण चरण में दाखिल हो गया है, जिसमें रूसी सेना पिछले हफ्ते मरियुपोल के पतन के बाद इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण पैठ बनाने का दावा किया है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, रूस अब इस क्षेत्र में अपने लाभ को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध में मारे गए नागरिकों की संख्या 4,000 को पार कर गई है। लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और बड़ी संख्या में यूक्रेन के लोग रूस सहित यूरोप के विभिन्न देशों में शरण लेने पर मजबूर हुए हैं।

पुतिन ने ड्राघी से बातचीत में यूक्रेन के इन दावों का खंडन किया कि रूसी सेना डोनबास क्षेत्र में "नरसंहार" कर रही है। इसके उलट उन्होंने दावा किया कि रूस अजोव और काला सागर में जहाजों को बंदरगाहों से आवाजाही की अनुमति देकर दैनिक मानवीय गलियारों का संचालन कर रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इन नागरिक की युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित निकासी में "यूक्रेनी पक्ष” बाधा डाल रहा है।

पुतिन ने इस बात पर भी जोर दिया कि क्षेत्र में शांति के लिए बातचीत आवश्यक है, और उन्होंने यूक्रेन को इस बात के लिए दोषी ठहराया कि उसने अपने पश्चिमी सहयोगियों के दबाव में रूस से बातचीत को रोक दिया है। यह भी कि कहा कि मार्च में इस्तांबुल में रूस से शुरू हुई बातचीत पर भी अप्रैल से रोक लगा दी गई है।

इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडॉयमर जेलेंस्की ने इस सप्ताह की शुरुआत में दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक के दौरान अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर की रूस से बातचीत की पहल करने की सलाह पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। ज़ेलेंस्की ने कहा कि डोनबास पर रूसी दावों को पहचानने के बारे में किसिंजर के सुझाव द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जर्मनी के खिलाफ ब्रिटेन और अन्य देशों के बाद तुष्टिकरण की नीति जैसे हैं।

रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन में अपने “विशेष अभियान'’ की शुरुआत करते हुए दावा किया कि यूक्रेन ने 2015 के मिन्स्क समझौते का उल्लंघन किया है और अपने पूर्व में रूसी भाषी क्षेत्रों की स्वायत्तता की पहचान करने से इनकार कर दिया है। क्रेमलिन ने यूक्रेन पर नव-नाजी तत्वों को शरण देने का आरोप लगाया, जो देश में रूसी भाषी आबादी के खिलाफ अत्याचार कर रहे हैं। वे नाटो के साथ सहयोग कर रहे हैं, और रूसी सुरक्षा बलों को धमकी दे रहे हैं।

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

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