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यूपी में दर्दनाक हादसा : दस नवजात बच्चे अस्पताल में जिंदा जले, एक्सपायर थे आग बुझाने वाले सिलिंडर, जिम्मेदार कौन?

एक महिला (मां) ने बताया कि उसका बच्चा हाल में ही पैदा हुआ था। डॉक्टरों ने कुछ समस्या बताई तो नीकू वार्ड में भर्ती कर इलाज चल रहा था।
hospital fire
फ़ोटो साभार : X

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित अस्पताल में शुक्रवार देर रात दिल दहला देने वाला हादसा हुआ जहां नीकू वार्ड में आग लगने से यहां भर्ती 10 नवजात की जान चली गई। घटना महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की है। परिजनों ने डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर बच्चों की मौत का आरोप लगाया है।

एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, एक महिला (मां) ने बताया कि उसका बच्चा हाल में ही पैदा हुआ था। डॉक्टरों ने कुछ समस्या बताई तो नीकू वार्ड में भर्ती कर इलाज चल रहा था। मीडिया से बात करते-करते दहाड़ मारकर रोती हुई इस मां ने कहा, डॉक्टरों ने उसके बच्चे को जलाकर मार दिया। हमारे बच्चे को आग लगा दी। वहीं एक पिता ने पूछा, साहब मेरा बच्चा अब कौन देगा? मेरा बच्चा जिंदा जल गया।

एक व्यक्ति ने बताया कि नीकू वार्ड में उसकी भतीजी भर्ती थी। आग पहले से लगी हुई थी, लेकिन जब काफी बढ़ गई, तब अस्पताल प्रशासन को बाहर पता चला। एक पिता ने बताया कि जब आग लगी तो वहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। आग इतनी ज्यादा फैल चुकी थी कि कोई डॉक्टर-कर्मचारी आगे नहीं जा पाया।

वहीं दूसरे परिजन ने बताया कि खिड़की तोड़कर बच्चों को बाहर निकालने का रास्ता बनाया गया। आग फैलने के बाद अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं बचा था। एंबुलेंस को आने में भी समय लग गया। परिजन अपने बच्चों के साथ हुई घटना को लेकर प्रशासन से सवाल भी पूछ रहे हैं।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। ग्राउंड फ्लोर होने से नवजात बाहर निकाले जा सके। अगर हादसा दूसरी मंजिल पर होता, तब बचाव कार्य में और मुश्किल होती। एसएनसीयू वार्ड की दो यूनिट हैं। एक यूनिट अंदर और दूसरी बाहर की तरफ है। सबसे पहले जो नवजात बाहर की ओर थे, उनको बाहर निकाला गया। अंदर की तरफ जो बच्चे थे, वो काफी झुलस गए। यहां भर्ती बच्चों को बचाया नहीं जा सका।

शुरुआती जांच में सामने आया है कि आग बुझाने वाले सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे। ये सिलिंडर से आग काबू पाने में नाकाम साबित हुए।

झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के लिए लगे फायर इंस्टीग्यूशर गवाही दे रहे हैं कि कोई दो साल पहले तो कोई एक साल पहले अपनी उम्र पूरी कर चुका था। जिसकी वजह से ये सिलिंडर आग बुझाने में नाकाम साबित हुआ। एक सिलिंडर पर 2019 की फिलिंग डेट है, एक्सपायरी डेट 2020 की है। यानि फायर सिलिंडर को एक्सपायर हुए कई साल हो चुके थे। यह सिलिंडिर खाली दिखावे के लिए यहां रखे हुए थे।

बात दें कि इस दर्दनाक घटना को लेकर विपक्ष ने राज्य की भाजपा सरकार को घेरा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, "झाँसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 बच्चों की मृत्यु एवं कई बच्चों के घायल होने का समाचार बेहद दुखद एवं चिंताजनक है। सबके प्रति संवेदनात्मक श्रद्धांजलि। आग का कारण ‘ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर ख़राब क्वॉलिटी के आक्सीजन कॉन्संट्रेटर का। इस मामले में सभी ज़िम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवारवाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक ज़िम्मेदारी भी है...”

वहीं समाजवादी पार्टी की सांसद डिपल यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुई हृदयविदारक घटना भाजपा सरकार एवं प्रशासन की लापवराही का नतीजा है। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर में आग लगने से हुई मासूम बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुःखद है, परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं। मामले की जांच हो, जवाबदेही तय कर हो कार्रवाई एवं पीड़ित परिवारों की हर संभव सहायता करे सरकार।"

साभार : सबरंग 

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